Male Female Sex Ratio In India 2021: देश में पहली बार 1000 पुरुषो पर हुई 1020 महिलाओं की संख्या

Male female Sex ratio in india 2021: भारत में महिलाओं को अहम दर्जे का सम्मान दिया जाता है। भारत में क्राइम रेट अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम है। यही वजह है की भारत में रहने वाली महिलाएं खुदको नए मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करती है। किसी भी क्षेत्र में महिलाएं पुरुषो से कही कम नही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य विभाग ने पुरुष महिला लिंगानुपात (male female sex ratio ) का एक सर्वेक्षण किया है जिसमे विभाग की तरफ से एक अहम खुलासा किया गया है। 

साल 2015-16 में पुरुषों से महिलाओं की संख्या कम थी

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार साल 2015-16 में महिलाओं की संख्या पुरूषों से कम थी। प्रति 1000 पुरुषो पर 919 महिलाएं थी। लेकिन बीते साल में इसमें कुछ बदलाब देखने को मिले और साल 2019जेड20 में यह संख्या प्रति 1000 पुरुषो पर 929 महिलाएं के सुधार के रूप में दर्ज की गई।

महिलाओ की जनसंख्या वृद्धि को लेकर सरकार तमाम तरह के लाभ मुहैया कराती है। लेकिन बीते कुछ सालों महिलाओं को जनसंख्या वृद्धि में कोई खास इजाफा देखने को नही मिला। नवजात बच्चों के गोद लेने के लिए तमाम तरह के ट्रस्ट बने हुए है जो हर साल करोड़ों बच्चो को मौत से बचा रहे है।

शहरों से ज्यादा गांवो में बड़ा बेटियो का सेक्स रेशियो

शहरों से ज्यादा गांवो में पुरुष महिला लिंगानुपात रेशियो में इजाफा देखने को मिला। गांवो में प्रति 1000 पुरुषो पर 1037 महिलाएं है। जबकि शहरो में 1000 पुरुषों पर 985 महिलाओं की संख्या है। बिहार में सबसे ज्यादा पुरुष महिलाएं सेक्स रेशियो पाया गया है। बिहार में प्रति 1000 पुरुषो पर 1090 महिलाएं है जोकि एक बेहतर स्थिति दर्शाता है। बही बात करे उत्तर प्रदेश की तो यहां 1000 पुरुषों पर 1017 महिलाएं है। दिल्ली में 913, हरियाणा में 926, झारखड़ में 1050, पंजाब में 938, राजस्थान में 1009 महिलाओं की संख्या पाई गईं है।

बेटी होने पर फेक दिया जाता है

बहुत ऐसे मामले है जहां देखा गया है कि बेटी होने पर उसे कही फेक दिया जाता है। इस तरह के क्राइम को लेकर सरकारें बेहद सख्त है जो इसे लेकर अपने सख्त कानून व्यवस्था रखती है। अक्सर देखा जाता है नदी तालाबों में कचरों के ढेरो पर लावारिश नवजात बच्चे पड़े मिलते है जिनमे महिलाओं की संख्या अधिक होती है। लेकिन बीते सालों की रिपोर्ट देखे तो यह संख्या काफी हद तक कम हुई है।

सरकारे इसे लेकर कुछ न कुछ इंतजाम कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अहम पहल की गई जिससे कूड़े कचरों में फिके मिलने वाले नवजात बच्चों की संख्या में कमी देखी गई। उत्तर प्रदेश में प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र में एक पालना का इंतजाम कराया गया है जिसमे बच्चो को रखने वाले की पहचान गुप्त रखी जायेगी।

इससे जो महिलाएं अपनी लोकलाज और अन्य किसी कारण से अपना नही सकती वो नदी तालाबों में बच्चो को फेकने की बजाय स्वास्थ्य केंद्र में जाकर इस पालने में रखें। इनकी पहचान गुप्त है। उसके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी। सरकार की तरफ से चाइल्ड हेल्प लाइन भी शुरू की गई है। 1098 पर कॉल करके आप किसी कचरे में पड़े नवजात की जानकारी दे सकते है और इन्हें जीने की नई राह दे सकते है।

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