शादी की सुहागरात एक नई प्रथा | जिस्म की गरमी | हिन्दी कहानियां

रानी जो बचपन से बस एक सपने के साथ जी रही थी कि वो अपना सबकुछ अपने पति के लिए सुरक्षित रखेंगी। वो किसी अन्य पुरुष को हाथ लगाना तो दूर अपने समीप भी भटकने नहीं देगी। रानी तन मन से बिल्कुल साफ है वो चरित्र से बिलकुल सफेद चादर की तरह है सफेद है। रानी पड़ी लिखी नही हैं लेकिन दिखने में वो किसी राजकुमारी से कम नही लगती। रानी की सुंदरता की चर्चा आसपास के गावों में है क्योंकि उससे सुंदर रूपबती शायद ही कोई हो जो रानी की बराबरी कर सके।

रानीमुख्य किरदार
दामोदरपिता
शांति देवी मां
श्यामूभाई
सुलोखनदामोदर के मित्र
रोहितपति
करनरोहित का छोटा भाई
परिचय

रानी जवान है और शादी के योग्य हो गई है दामोदर को बेटी की शादी की चिंता सताने लगी है। दामोदर अपने मित्र सुलोखन से किसी अच्छे लड़के का रिश्ता खोजने को बोलते है जिससे जल्द बेटी के हाथ पीले किए जा सके। सुलोखन बोलते है कि जैसे ही उन्हे कोई अच्छा लड़का मिलेंगा वो उसे बता देंगे आखिर रानी उनकी बेटी जैसी ही तो है। हर रोज की तरह सभी शाम का भजन कीर्तन करते है और सोने के लिए चले जाते है।

लगभग 15 दिन बाद सुबह घर के दरवाजे की कुंडी खटकती है। सभी सोए हुए होते है, दामोदर रानी से कहते है बेटा देखो दूध वाला आज जल्दी आ गया, जा जल्दी से कुण्डी खोल दे और दूध निकाल ला। रानी दरवाजे के पास जाती है और कुंडी खोलती है। रानी सुलोखन को देख चौक जाती है, अरे चाचा आप आइए अंदर आइए। पापा अभी सो ही रहे है कल उनकी थोड़ी तबियत खराब हो गई थी। लेकिन मेने काड़ा दे दिया है जल्दी ठीक हो जाएंगे।

सुलोखन कहते है, अच्छा देखता हूं अभी इसे आराम मिला कि नही में शहर से आया हूं और मेरे पास कुछ अंग्रेजी दवाइयां है जो जल्दी ही ठीक कर देती है। सुलोखन झट पट दामोदर के पास जाते है और दामोदर का हाल पूछते है। दामोदर अपनी तबियत ठीक बताते है। लेकिन दामोदर की तबियत देख ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें बहुत तेज बुखार है और जल्द अच्छे इलाज की जरूरत है। सुलोखन कहता है उसके पास कुछ अंग्रेजी दवाइयां है जिन्हे वह शहर से लाया है। अंग्रेजी दवाइयों के सेवन से दामोदर जल्द ठीक होकर उठ खड़ा होगा।

दामोदर के बहुत मना करने पर भी सुलोखन नही मानते और उसे बुखार की दवा दे देते है । सुलोखन रानी के रिश्तों को लेकर बात करते है। कहते है उसने रानी के लिए शहर में एक पड़ा लिखा लड़का देखा है जिसके पिता डॉक्टर है और वो भी जल्दी ही डॉक्टर बन जाएगा। सुलोखन कहते है रानी के लिए इससे अच्छा पढ़ा लिखा लड़का नही मिल सकता है।

दामोदर रानी का रिश्ता शहर में करने से मना कर देता है। दामोदर कहता है वो नही चाहता कि उसके जीते जी उसकी बेटी के साथ कोई अनहोनी हो इतनी दूर शहर में उसके साथ क्या हो रहा है कैसे पता चलेगा। वो रानी का रिश्ता किसी पड़ोस के गांव में ही करना चाहता है।

सुलोखन और शांति के बहुत समझाने पर दामोदर एक बार को तो हा कर देता है लेकिन अंतिम फैसला रानी के ऊपर छोड़ देता है। अगर रानी इस रिश्ते को हा करेगी तभी यह शादी होगी अगर वो मना करेगी तो नही। सुलोखन और शांति देवी रानी बड़े बड़े सपने दिखाकर इस रिश्ते के लिए मना लेती है। चार दिन बाद पूर्णिमा है उसी दिन लड़के वाले को तरफ से रानी को देखने का प्लान सेट हो गया। अब दामोदर भी अंग्रेजी दवाइयां खाकर बिल्कुल स्वस्थ है।

धीरे धीरे तीन दिन बीत गए कल रानी को देखने के लिए लड़के वाले आने वाले है। दामोदर अलग अलग तरह के पकवान बनवाते है। सुबह हुई सभी दामोदर, श्यामू, शांति देवी इधर उधर काम में जुट गए। घड़ी के लगभग डेढ़ बजे घर की कुंडी खटकती है। श्यामू दौड़ के दरवाजे के पास जाता है और झट से दरवाजा खोलता है सुलोखन लड़के वाले के साथ पधारते है। दोनो परिवार के बीच रामा कृष्णा होती है।

रानी अंदर ही अंदर से उतावली हो रही है। उसे किसी से मिलने के लिए पहली बार इस तरह देखा जा सकता है। रानी की खुशी उसके चहरे से साफ देखी जा सकती है। आज रानी और भी खूबसूरत राजकुमारी की तरह दिख रही है। शांति देवी रानी के गर्दन के पीछे कला काजल का टीका लगाए हुए कहती है मेरी प्यारी बच्ची को किसी की नजर न लग जाए। रानी हंसते हुए कहती है अम्मा तू भी में अब इतनी बड़ी हो गई हूं अब मुझे किसकी नजर लगेगी। तभी बाहर वाले कमरे से दामोदर की आवाज आती है रानी बिटिया कितना समय लगेगा जल्दी आओ सभी आपका इंतजार कर रहे है।

रानी धीरे धीरे चलती हुई हाथ में चाय लेकर आ रही है। सभी को एक एक कप चाय देती हुई आगे बड़ रही है तभी उसके हाथ से चाय का एक कप छूट जाता है और लड़के के भाई (करन) के ऊपर गिर जाता है। रानी माफी मांगती है और करन को गंदे कपड़े साफ करने को वाशरूम दिखाती है।

करन रानी को बार बार देखकर मुस्कराता है रानी इसे अनदेखा करती है और अपने काम से काम रखती है। रानी और कारण जल्दी ही वापिस आ जाते है सभी लोग रानी को बीच में बैठने को कहते है। रानी अब सभी के सामने अकेली है। रोहित ( लड़का) रानी को एक ही नजर में पसंद कर लेता है तभी लड़के वाले की तरफ से आए सभी लोग बोलते है हमे तो लड़की पसंद है दामोदर का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दामोदर सभी का मुंह मीठा करवाते है और खाना खिलाकर बिदा कर देते है।

पंडित जी को घर बुलाया गया दोनो की कुंडली दिखाई जो बिल्कुल सही बैठती है। पंडित जी रानी की शादी का शुभ मूहर्त दो महीने बाद का निकालने है। दामोदर अभी से शादी की तैयारियों में जुट गए है। इकलौती बेटी को शादी में दामोदर किसी भी तरह की कोई कसर नही छोड़ना चाहते।

रानी मन ही मन बहुत खुश है कि उसे इतना सुंदर रूपबान लड़का मिला है जो पैसे से भी रहीश है उसे महारानी की तरह रखेगा। रानी अपनी सभी सहेलियों को रोहित के बारे में बताती है और कहती है कि जल्द रोहित डॉक्टर बन जायेंगे। रानी ने अपनी सभी सहेलियों को अपनी शादी में आने के लिए न्योता दे दिया और रानी सभी को जरूर आने को कहती।

धीरे धीरे समय गुजरता गया और दो महीने बीत चुके है आज रानी की बारात आने वाली है। दामोदर और श्यामू शादी की।इधर उधर की भागदौड़ कर रहे है। कब शाम हो गई पता ही नही चला देखते देखते बारात भी गई। घोड़े पर बैठा रोहित बहुत सुंदर लग रहा है, रानी की नजर जेसे ही रोहित पर पड़ी वो देखती ही रह गई उसकी सहेलियां रानी से मजाक करने लगती है।

शुभ मूहर्त में शादी की सभी रस्में होती है रानी की बिदाई होने को है। रानी बिदाई के समय बहुत रोती है। दामोदर रानी से बोलते है कि वो जल्द उससे मिलने शहर आयेंगे। रास्ते में रोहित उसे समझा बुझाकर चुप करा लेता है। रानी रोहित के कंधे पर सिर रख कर सो जाती है। रानी इतनी बेसुध होकर सो जाती है कि उसे पता ही नही चलता कब ससुराल आ गया। रोहित धीरे से रानी को उठाता है। दोनो लोग सभी के पैर छूते हुए घर के अंदर प्रवेश करते है।

शादी की सभी रस्में हसी मजाक के साथ होती है। रानी का कमरा पूरी तरह सजाया गया है। कमरा बहुत ही सुंदर दिख रहा है रानी मन ही मन बहुत खुश है लेकिन मन में थोड़ी बैचेन है क्योंकि उसे इस बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है। रानी ने अभी तक किसी गैर मर्द को छूने तक नही दिया है। उसने सबकुछ अपने पति को बचाकर रखा है रानी का कोमल शरीर मानो इसकी गवाही दे रहा हो। अब रानी को सिर्फ रोहित का इंतजार है जो उसे आगे की राह दिखाने वाला है।

अचानक से कमरे की लाइट बुझती है रानी थोड़ी से बेचैन होती है लेकिन तभी वो अपने हाथ पर किसी के हाथ रखने जैसा महसूस करती है। रानी धीरे धीरे अपने सारे कपड़े उतार देती है दोनो एक दूसरे के साथ रात के अंधेरे में चरमसुख की खोज में निकलते है जिसमे रानी को असहज दर्द से भी गुजारना पड़ता है। लेकिन पति की खुशी के लिए वो अंत तक उसका साथ देती है।

रानी बेड पर बेसुध पड़ी है तभी बाहर से कुंडी खटखटाने की आवाज आती है। बाहर रोहित है जो दोस्तो के साथ पार्टी करके आया है। जब बाहर रोहित है तो अंदर रानी के साथ कौन था। आखिर रानी ने किसके साथ सुहागरात मनाई, अगर रोहित बाहर था तो आनंद कौन था। जानें शादी की सुहागरात भाग 2 जिस्म की गरमी में।

आगे पढ़े: शादी की सुहागरात एक नई प्रथा भाग 2 जिस्म की गरमी नई उलझन में फसेगी रानी

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12 thoughts on “शादी की सुहागरात एक नई प्रथा | जिस्म की गरमी | हिन्दी कहानियां”

    • जल्दी ही इसका दूसरा भाग आने वाला है। ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

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  1. खुलासा कब होगा चुनाव से पहले या बाद में ? पहले होता तो अच्छा होता । मुझे वोट देने भी जाना है ☺️

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  2. बकवास
    एक लड़की जिसे कुछ नहीं पता कि सुहागरात वाले दिन क्या होता है,वह बिना यह जाने कि उसे कौन छू रहा है,वह अपने सारे कपड़े खुद ही उत्रकर रोमांस करने लगती है। इससे उसकी यौन क्षुधा का पता लग रहा है। हवस की पुजारिन न कि प्रेम पुजारिन
    पहली बार यह पढ़ा कि दुल्हन अपने कपड़े खुद ही बेहिचक उतार रही है।

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